Thursday, January 19, 2017

Dr Aditya Insaan speaks about breakthrough research in Keratoconus treatment at Sirsa


Dr Aditya Insaan press conf. about recent breakthrough research in Keratoconus treatment at Shah Satnam Specialty Hospital
SIRSA NEWS 
19 January, 2017
Pictures and Videos: GS Mann
Watch Video: Dr Aditya Insaan speaks about recent breakthrough research in Keratoconus treatment at Shah Satnam Specialty Hospital, Sirsa.


Dr Aditya told media persons that the incidence of Keratoconus is several thousand times higher in India. Keratoconus is a disorder of the eye which results in progressive thinning of the cornea. This may result in blurry vision, double vision, nearsightedness, astigmatism, and light sensitivity. Usually both eyes are affected. In more severe cases a scarring or a circle may be seen within the cornea.

While the cause is unknown, it is believed to occur due to a combination of genetic, environmental, and hormonal factors. About seven percent of those affected have a family history of the condition. Proposed environmental factors include rubbing the eyes and allergies. The underlying mechanism involves changes of the cornea to a cone shape. Diagnosis is by examination with a slit lamp.

Initially the condition can typically be corrected with glasses or hard contact lenses. As the disease worsens special contact lenses may be required. In most people the disease stabilizes after a few years without severe vision problems. In a small number of people scarring of the cornea occurs and a corneal transplantation is required.

Keratoconus affects about 1 in 2000 people. It occurs most commonly in late childhood to early adulthood. While it occurs in all populations it may be more frequent in certain ethnic groups such as those of Asian descent. The word is from the Greek kéras meaning cornea and the Latin cōnus meaning cone. 


Dr Aditya told that research at SSSH Sirsa has lead to very low cost treatment of this serious eye problem. He also added that this kind of pioneering technique is available in India only at SIRSA, and worldwide also apart from Greece this procedure is very uncommon. In a descriptive presentation and impressive interaction Dr Aditya explained the technicalities of the research to the journos. Before that he also informally discussed health, well being with the media persons. 
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Read Verbatim Detailed Press release In Hindi:


भारत में सबसे सुरक्षित लैसिक की अभूतपूर्व शुरूआत
* लैसिक संग हाई पॉवर क्रासलिंक तकनीक है सबसे उत्कृष्ट, सफल व सुरक्षित
** दो वर्ष तक एक हजार से अधिक मरीजों का विशलेषण करके इस नतीजे पर पहुंचे है हम 
सिरसा। सिरसा जैसे ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले इलाके में स्थित अंतर्राष्ट्रीय सुविधाओं से सुसज्जित शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल ने अब एक बार फिर चिकित्सीय जगत में नया आयाम स्थापित किया है। बेहद लंबे रिसर्च के बाद अस्पताल के शोधकर्ताओं ने यूरोप के मुकाबले भारत में कई गुणा अधिक फैली आंखों की गंभीर बीमारी केरैटोकोनस का सिर्फ दो आधुनिकतम तकनीकों के माध्यम से सफल व सबसे सस्ता इलाज ढूंढ़ निकाला है जो कि मेडिकल जगत में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल इस बीमारी का सफल इलाज करने वाला भारतवर्ष का पहला अस्पताल बन गया है। अन्य जगहों पर इस मर्ज का ईलाज 10-12 पद्धतियों से किया जा रहा है। यह जानकारी वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ व पुतली रोगों के माहिर डॉ. आदित्य इन्सां व डॉ. मोनिका इन्सां ने बुधवार को सरसा में शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल की एक पत्रकार वार्ता के दौरान दी।
* धरती को कागज करूँ तो गुरु गुण लिखा ना जाए 
डॉ. आदित्य इन्सां ने बताया कि पूज्य संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा स्थापित उत्कृष्ट आई बैंक व उनके द्वारा  शोध के लिए दी गई सुविधाएं व निरंतर व्यक्तिगत मार्गदर्शन ही सफलता का कारण बना। गुरु जी ने अपनी फिल्मों से अर्जित आय द्वारा अस्पताल में रिसर्च विभाग को स्थापित किया जिस वजह से उनकी टीम लक्ष्य बनाकर चलने में सफल रही। 
* भारत में है पुतली की कमजोरी व केरैटोकोनस रोग की बहुतायत
उन्होंने मीडिया को बताया कि अलग-अलग शोध से यह निष्कर्ष निकल है कि भारत में विकसित देशों के मुकाबले पुतली में कमजोरी व केरैटोकोनस नामक रोग २० गुना से लेकर हजारों गुना तक ज्यादा पाई जाती है। लैसिक से पहले की जाने वाली जांचों में इन रोगों के लक्षण पूरी तरह से पकड़ में नहीं आते जिस वजह से ऐसे मरीजों का भी लैसिक द्वारा चश्मा उतारने का ऑप्रेशन हो जाता है जो कि लैसिक सर्जरी झेल नहीं पाते व उन्हें बाद में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। दरअसल आंख की पुतली की बायो मैकेनिकल क्षमता या ताकत को जांचने का कोई परफेक्ट तरीका अभी इजाद ही नहीं हुआ है। इस वजह से लैसिक सही होने के बावजूद किसी-किसी मरीज को दोबारा नंबर आने की या पुतली की चोंच बनना अर्थात केरैटोकोनस  होने का रिस्क रहता है। लेकिन हाई पॉवर क्रॉसलिंक के साथ अगर लैसिक किया जाए तो ये रिस्क न के बराबर हो जाता है। इसके अलावा उन्होंने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि किसी भी तरह के बिगड़े हुए लैसिक या केरैटोकोनस के मरीज का शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल में नवीनतम विश्व स्तरीय तकनीक के साथ इलाज किया जाता है जिनमें से कुछ भारत में पहली बार लाए हैं। 
* अब विश्व के चुनिंदा  देशों के बराबर पहुंचा भारत
इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि रिफरैक्टिव व टोरिक का्रॅसलिंकिंग के जरिए अब हाई सिलेंडर नंबर व शुरूआती केरैटोकोनस में बिना लेजर के नंबर कम किया जा सकता है। इसके अलावा एंटीरियर लैमेलर केरेटोप्लास्टी नामक तकनीक द्वारा केरैटोकोनस रोगियों को कांटैक्ट लैंस से होने वाली मुश्किलों से छुटकारा दिलाया जा सकता है। कोर्निया में इनटैक्स व फेरारा नाम के महंगे प्लास्टिक उपकरण, महंगे कांटैक्ट लैंस और केरैटोकोनस रोग के लगातार बढऩे आदि सबसे बचा जा सकता है। इसमें खान-पान व जीवनशैली में बदलाव के साथ-साथ कुछ ऐसी तकनीकेंं  भी हैं जो कि यूरोप में सफलतापूर्वक इस्तेमाल की जा रही हैं लेकिन व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा के चलते उन तकनीकों की जानकारी रोगियों तक नहीं पहुंच रही है। नीदरलैंड में डॉ. मेलेस,जर्मनी में डॉ. क्रुमेक व ग्रीस के डॉ. केनैलोपोलस, इटली में डॉ. स्पाडिया आदि चंद ही डॉक्टर इन उत्कृष्ट तकनीकों में महारत हासिल कर पाए हैं। डॉ. आदित्य इन्सां ने कहा कि हम इसलिए कामयाब हुए क्योंकि हम इन सबकी तकनीकों का सम्मिश्रण करके आगे बढ रहे हैं। 
* बहुत कम खर्च में विश्व स्तरीय इलाज
याद रहे कि शाह सतनाम जी स्पेशलिटी स्थित आई बैंक भारत के अग्रणी आई बैंकों में से एक है जहां पर हर साल हजारों पुतली रोगियों का इलाज  सफलतापूर्वक किया जाता है। इस पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने ऑप्रेशन की तकनीक व रोगियों के आंखों के चित्र भी मीडिया के साथ शेयर किए व बताया कि ये सारे विश्व स्तरीय इलाज शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल में अन्य जगह के मुकाबले बहुत कम खर्च में उपलब्ध हैं। 

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