Sunday, March 28, 2021

CICR Kisan Mela on Pink Ball Worm and other issues and challenges of Cotton Farming

 

CICR Kisan Mela on Pink Ball Worm and other issues and challenges of Cotton Farming.

 SIRSA NEWS 

www.SirsaNews.com )

29 March 2021

Pictures and Videos: GS Mann.

Watch Video recorded on 27th March 2021 at CICR:

 


 

CICR Kisan Mela on Pink Ball Worm and other issues and challenges of Cotton Farming was held on 27 March 2021 at CICR Regional Research Station Sirsa.

Apart from Station Scientists, ICAR CICR Nagpur Director Dr YG Prasad also interacted directly with Farmers and answered their queries via Video Conferencing, a projector and audio system was installed at the venue itself in the open. Dr Rishi Pareek, Dr Verma, Center Head Dr Tuteja, Former Head Dr Dilip Moga, and other experts educated the farmers.

 

-विशाल किसान मेले का आयोजन

-केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय कार्यालय में हुआ आयोजन

-कृषि वैज्ञानिकों ने फसलों में बीमारियों को लेकर किया किसानों को जागरूक

-अंधाधुंध कीटनाशक के छिड़काव से भी बचने की अपील

-गुलाबी सुंडी से बचाव के लिए प्रमाणित बीज का प्रयोग करें किसान

-क्रिसपर टैक्नोलाॅजी से भविष्य में कपास में आने वाली अनेकों समस्याओं का होगा समाधान

-कपास के किसानों का वैबीनार से सीआईसीआर के नागपुर सेंटर के हैड से हुआ

 

केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान के कोर्ट कालोनी स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में विशाल किसान मेले का आयोजन किया गया। इस मेले का आयोजन खेती की आधुनिक तकनीक, नरमा-कपास की फसलों की बीमारियों से बचाने, प्रमाणित बीज इस्तेमाल करने सहित अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर किसानों को जागरूक किया गया। इस मेले में सीआईसीआर के नागपुर सेंटर के हैड डा. वाईजी प्रसाद से वैबीनार से किसानों का संपर्क करवाया गया। किसानों ने अपने विचार वाईजी प्रसाद के समक्ष रखे। उन्होंने उनपर अपनी प्रतिक्रिया दी। किसानों के कई सुझावों को उन्होंने रिकाॅर्ड में भी दर्ज किया ताकि सरकार के समक्ष उठाया जा सके। दूसरे राज्यों से आने वाले बीजों अंकुरित करने सहित कई अन्य मुद्दे भी किसानों ने उठाए। इस मेले में कृषि वैज्ञानिक दिलिप मोंगा ने भी किसानों को कई महत्वपूर्ण जानकारी दीं जिनमें शाॅर्ट की समस्या के समाधान के लिए गोबर खाद के इस्तेमाल, बीज को गहराई में रोपने सहित अन्य विधियों के बारे में बताया गया।

 

कृषि वैज्ञानिक दिलिप मोंगा ने बताया कि गुलाबी सुंडी का प्रकोप हरियाणा व पंजाब के कई गांवों में बढ़ा है। इससे बचाव का अभी कोई स्टीक इलाज नहीं है। किसान यदि खेतों में बिजाई से पूर्व गोबर खाद का इस्तेमाल करें और बीज को गहराई तक रोपित करें तो इस समस्या से काफी हद पर बचाव हो सकता है। इसके साथ उन्होंने कई ऐसी किस्में भी किसानों को बताई जिनमें इस बीमारी का प्रकोप नहीं होता। इसके साथ कीटनाशकों के सही इस्तेमाल, प्रमाणित बीज लेने सहित कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गईं। उन्होंने कहा कि क्रिसपर टैक्नोलाॅजी के भी काफी फायदे सामने आ रहे हैं। इस तकनीक से डीएनए जीन एडेटिंग विधि बहुत सारी समास्याओं आ समाधान करने में समक्ष है। इसलिए कई देशों में इस तकनीक पर अनुसंधान चल रहा है।

बाईट-दिलिप मोंगा, कृषि वैज्ञानिक, सिरसा

 

किसानों कृष्ण कुमार व रतिराम ने बताया कि इस तरह के मेलों से मिलने वाली जानकारी किसानों के लिए लाभदायक सिद्ध होती है। किसानों को आधुनिक तकनीक, नवीनतम बीजों व खादे के बारे में सही जानकारी मिलती है। इसी के साथ मिट्टी व पानी की जांच के लिए भी प्रेरित किया जाता है। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से खेतों में फसल भी अच्छी हो रही है और किसानों को आर्थिक लाभ भी हो रहा है।